उज़ड़ गया मन का चमन ज़मीं से लेकर फलक तक क्यूँ दिख रहे तुम उदास चाँद। उज़ड़ गया मन का चमन ज़मीं से लेकर फलक तक क्यूँ दिख रहे तुम उदास चाँद।
लौट कर आया जब शव तिरंगे में तो हाथ की वो सभी चूड़ियाँ रो पड़ी लौट कर आया जब शव तिरंगे में तो हाथ की वो सभी चूड़ियाँ रो पड़ी
दूर रहने लगा हूँ सबसे चुभने लगा हूँ जबसे। दूर रहने लगा हूँ सबसे चुभने लगा हूँ जबसे।
लक्ष्य पाना है कर पूर्ण समर्पण है नितांत निस्वार्थ बालपन। लक्ष्य पाना है कर पूर्ण समर्पण है नितांत निस्वार्थ बालपन।
उनका ये बचपना देख हम बड़े भी कभी तो खुश हो जाते। उनका ये बचपना देख हम बड़े भी कभी तो खुश हो जाते।
उदास मुखड़े दे जाती हैं खुशबू की सौगात और बदल जाती है तपती दोपहर में। उदास मुखड़े दे जाती हैं खुशबू की सौगात और बदल जाती है तपती दोपहर में।